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ओटीटी पर विषयों को लेकर कोई टैबू नहीं

दीप भव 2022 नहीं पढ़ा तो क्या पढ़ा?

हर किसी के लिए कुछ न कुछ नायाब है दीप भव 2022 में

दीप भव एक ऐसी रचना वार्षिकी है जो रूबरू कराती है वक्त की घटनाओं से जो इतिहास के झरोखे से कई दिलचस्प दास्तान परोसती है. दीपभव में आप पढ़ते हैं उन्हें जो कुछ नया कर गुजरने का जूनून लिए फिरते हैं यदि आपने दीपभव 2022 का अंक नहीं पाया तो समझ लीजीए के बहुत कुछ पीछे छूट जाएगा. पढ़िए जरूर.

ओटीटी पर विषयों को लेकर कोई टैबू नहीं

थियेटर में रिलीज़ होनेवाली फ़िल्मों का क्या हाल हो गया है पिछले एक साल में, यही बताता है कि ओटीटी ने मनोरंजन की दुनिया को किस तरह बदला है. जैसे अपने लेखन को तराशने के लिए सुधी पाठक होना होता है, वैसे ही ओटीटी में काम करने के लिए सुधी दर्शक बनना पड़ता है. ओटीटी ही वह माध्यम बन कर उभरा है जहां विषयों का वैविध्य न सिर्फ पाया जा रहा है, बल्कि बनाया और पसंद भी किया जा रहा है. आज से कुछ साल पहले तक जिन विषयों पर बात करना तक दूभर था उन विषयों पर भी खुल कर कहानियां बन रही हैं. क्योंकि यह युवाओं का माध्यम है इसलिए उनके ध्यान में रखकर ज्यादा चीजें बनती हैं मगर यहां विषयों को लेकर कोई टैबू नहीं है.

पढ़िए ओटीटी के विषय में कई वेब सीरीज़ लिख चुके सत्य व्यास, अनु सिंह और संजय मासूम के विचार, जिनसे बातचीत की है ममता सिंह ने.

फ्रीडम का गॉडफादर, कंटेंट का यमराज

ओटीटी सिर्फ अल्ट बालाजी की ‘गंदी बात’ ही नहीं, बल्कि ‘पंचायत’, ‘बंदिश बैंडिट्स’, ‘गुल्लक’, ‘जादूगर’, ‘चमन बहार’, ‘शूरवीर’, ‘शेरशाह’ जैसा क्लीन कंटेंट भी है. सरकार को ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए सेल्फ रेग्युलेशन तय करना ही होगा. हालांकि सेल्फ रेग्युलेशन घर से भी शुरू होता है. लेकिन एक फिक्र तो रहती है कि ओपन एयर में तैर रहा ओटीटी कहीं बच्चों को तो नहीं लपेट रहा है. क्योंकि बच्चों के हाथों में मोबाइल है और हर वक्त है..

फ्रीडम का गॉडफादर, कंटेंट का यमराज बन चुकी ओटीटी की स्याह-सफेद दुनिया से रूबरू करा रहे हैं मनोज राजन त्रिपाठी.

वृत्तचित्रों को लेकर उदासीनता क्यों?

वृत्तचित्र विधा में भारत एक चहेती विधा है. यहां विषयों की कोई कमी नहीं. जिस तरह के वृत्तचित्र बन रहे हैं, उनमें कई उच्च कोटि के हैं. न सिर्फ पुरस्कृत हो रहे हैं, बल्कि खूब पसंद भी किए जा रहे हैं. लेकिन ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कुछ उदासीनता दिखती है. जब उपलब्ध ही नहीं होंगे तो लोग देखेंगे कैसे? लेकिन प्रश्न यह है कि भारतीय वृत्तचित्रों में ख़ास क्या है? इसका एक्स-फैक्टर क्या है? भारतीय या विदेशी इन्हें क्यों देखें? इसकी पड़ताल कर रहे हैं प्रवीण झा.

ओटीटी का बदलता संसार

ओटीटी यानी ‘ओवर द टॉप’ मीडिया सर्विस ने इस भागती-दौड़ती ज़िंदगी में जो सबसे बड़ी सुविधा दी है वो ये कि अपने मनचाहे समय में अपने मनचाहे कंटेंट को देखने की आज़ादी. इसे आप तकनीक के रचे लोकतंत्र की तरह भी देख सकते हैं. ओटीटी ने मनोरंजन के तौर-तरीक़े ही बदल दिए हैं. इसने मनोरंजन की टेक्‍नाेलॉजी के लोकतंत्र की स्थापना की है, जिसकी विकास यात्रा पर ले चल रहे हैं यूनुस खान.

पंकज त्रिपाठी : ओटीटी के झंडाबरदार

मैं अपनी वर्तमान लोकप्रियता का बड़ा श्रेय ओटीटी को देना चाहता हूं. ओटीटी और मेरी कहानी सैक्रेड गेम्स और मिर्जापुर से आरंभ होती है. कह सकता हूं कि वेब सीरीज और ओटीटी के झंडाबरदारों में से एक हूं. ओटीटी के लिए ही पहली बार होर्डिंग्स में दिखा. मुंबई, दिल्ली और भारत के विभिन्न शहरों में लगी होर्डिंग्स पर मेरी तस्वीर आने का सुखद अनुभव हुआ. मेरी तीनों वेब सीरीज ‘सैक्रेड गेम्स, ‘क्रिमिनल जस्टिस’ और ‘मिर्जापुर’ ने जमकर प्रचार किया. फ़िल्मों में मुझे तब तक न तो वैसे रोल मिल पा रहे थे और न मैं पोस्टर पर आ पा रहा था. लेकिन अब मैं ओटीटी और सिनेमा दोनों जगह समान रूप से मौजूद हूं. यह कहना है प्रख्यात अभिनेता पंकज त्रिपाठी का, जिनसे बातचीत की है अजय ब्रह्मात्मज ने.

प्रतिभाओं को मौका दिया है ओटीटी ने : मनोज बाजपेयी

ओटीटी पर मनोज बाजपेयी की खास मौजूदगी है. ‘द फैमिली मैन’ से उन्होंने नए दर्शकों के बीच अपनी उपस्थिति बढ़ाई. वह खुश हैं कि वेब सीरीज की वजह से अब बच्चे भी उन्हें पहचानने लगे हैं. उनका यह भी कहना है कि उन जैसे कलाकारों को ओटीटी से बेहतरीन काम का भरोसा मिला है. यह कहना है प्रख्यात अभिनेता मनोज बाजपेयी का, जिनसे बातचीत की है अजय ब्रह्मात्मज ने.

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‘मॅड’लोकांची ‘मेथड’

पंच्याहत्तर वर्षांच्या भारताचा एक भन्नाट शोध

लोकमत दीपोत्सव 2022

अंक नव्हे, उत्सव

तीन लाख प्रतींचा टप्पा ओलांडून जाणारं मराठी प्रकाशनविश्वातलं सन्मानाचं, देखणं आणि समृद्ध पान

Deepotsav

दीपोत्सव 2022

पृष्ठसंख्या - XXX
XXXXXX
XXXXX

दीपोत्सव 2019

३,०१,२६७ प्रतींचा खप ओलांडणारं
मराठी प्रकाशनविश्वातलं सन्मानाचं,
देखणं आणि समृद्ध पान

दीपोत्सव 2020

पृष्ठसंख्या -२५५
‘दोन लाखांचा’ खप आणि वाचकप्रियतेचं
शिखर गाठणारी समृध्द गोष्ट.

दीपोत्सव 2018

2,30,000 प्रतींचा खप ओलांडणारं
मराठी प्रकाशनविश्वातलं सन्मानाचं,
देखणं आणि समृद्ध पान

उस्ताद

हायवे ही त्यांची ‘गर्लफ्रेंड’ आणि पोटात माल भरलेला ट्रक ही ‘बायको’...

देशाच्या या टोकापासून त्या टोकापर्यंत सतत धपापत धावणाऱ्या ट्रक ड्रायव्हसची जिंदगी ही एक वेगळीच कहाणी आहे

खटक्याव बोट, जाग्याव पल्टी!

आता गंगोत्रीच्या प्रवासात हिमालयातल्या पायवाटेवर काटक्यांची चूल मांडून लोक मॅगी शिजवतात, याचा अर्थ काय होतो?

लौंडे

जेमतेम दुसरी-पाचवी पास-नापास पोरांच्या टोळ्या पॉश इंग्रजीत, टेचदार हिंदीत बोलून,

देशभरातल्या बड्याबड्यांना ऑनलाईन गंडे घालतात,

त्यांच्या जामताडा या गावात.. त्यांच्याबरोबर!

जिंदगी वसूल

शहरात वाढलेले एक सुस्थितीतले तरुण जोडपे आदिवासी लोकांबरोबर राहायला त्यांच्या जगात जाते, या निर्णयाला २३ वर्षे उलटून गेल्यानंतरचा जमाखर्च

लाल रुमाल

ते फक्त दिल्ली-मुंबईतच नाहीत, अगदी कोल्हापूर-जळगावातसुद्धा असतात हल्ली!

- जिगोलो!!

एकट्या स्त्रियांना सर्व प्रकारची सोबत विकत देणारे पुरुष!...

कसे आहे त्यांचे जग?

गुनगून

करोडो रुपयांची उलाढाल करणाऱ्या अमली पदार्थांच्या धंद्याच्या साखळीतला शेवटचा माणूस म्हणजे ड्रग पेडलर!

ते सगळीकडे ‘असतात’, पण‘दिसत’ नाहीत! मुंबईतल्या एका वेगळ्या ‘अंडरवर्ल्ड’मध्ये रात्रीची भटकंती

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ABOUT DEEPOTSAV

बाबुजी ते आराध्या अशा चार पिढ्यांमध्ये धावणाऱ्या ‘संस्कारा’च्या नदीविषयी सांगणारे अमिताभ बच्चन... बिल गेट्स या ‘श्रीमंत’ माणसाशी लग्न झाल्यानंतर ‘गरिबी’शी नातं जोडणारी मेलिन्डा गेट्स... ‘पैसा कुछ नही होता यार’ अशी खात्री देणारा शाहरूख... कार्पोरेट बोर्डरूमच्या पलीकडले रतन टाटा, नारायण मूर्ती आणि आनंद महिंद्रा... नोबेल विजेतेडॉ. अभिजित बॅनर्जी...मसुरीजवळच्या जंगलात राहणारे रस्किन बॉन्ड ... ही ‘असली’ माणसं कुठं भेटणार ‘दीपोत्सव’शिवाय?
जिथं रस्ता नाही, पण मोबाईलचं नेटवर्क आहे, अशा कानाकोपऱ्यांतल्या माणसांच्या आयुष्यात डोकावत कोण भटकणार ‘दीपोत्सव’शिवाय?
काबूलमधल्या शाळेत, इस्रायलमधल्या तेल अवीव या ‘स्मार्ट सिटी’त,
भारत-बांगला देश सीमेवरल्या एन्क्लेव्हमध्ये तरी कोण जाणार ‘दीपोत्सव’शिवाय?
कन्याकुमारीपासून निघून थेट श्रीनगरपर्यंत बत्तीस दिवस एकतीस रात्रींच्या थरारक रोडट्रीपमध्ये भेटलेल्या गावांच्या, शहरांच्या, विजयांच्या, पराभवांच्या, बदलांच्या आणि बदलत्या माणसांच्या कहाण्या कोण शोधणार ‘दीपोत्सव’शिवाय?‘रामनाथ गोयंका अवॉर्ड फॉर एक्सलन्स इन जर्नलिझम’ या प्रतिष्ठेच्या राष्ट्रीय पुरस्कारानं गौरवलेला,संपादनापासून मांडणीपर्यंत सतत नवे प्रयोग करणारा आणि मराठी वाचकांसाठी दरवर्षी एका नव्या अनुभवाचं दार उघडणारा दिवाळी अंक!
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दीपोत्सव २०२२
अंक नव्हे, उत्सव!
अधिक माहितीसाठी ईमेल करा : sales.deepotsav@lokmat.com किंवा व्हॉट्सप करा : 955 255 0080

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