क्या बुद्धिमत्ता भी ‘कृत्रिम’ हो सकती है? पहले तो यही सवाल उठा था मन में जब पहली बार सुना ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’.
क्या बुद्धिमत्ता भी ‘कृत्रिम’ हो सकती है? पहले तो यही सवाल उठा था मन में जब पहली बार सुना ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’. यह बला आपके ई-मेल्स लिखेगा, पढ़ाई करेगा, हेल्थ टिप्स देगा, वर्चुअल असिस्टेंट बनके मदद भी करेगा. इतना ही नहीं एआई आपकी भाषा का चुटकियों में अनुवाद कर सकता है. इसकी मदद से आप किसी भी चेहरे को अपना चेहरा बना सकते हैं, आवाज बदल सकते हैं, देसी-विदेशी भाषा बदल सकते हैं, एनीमेशन डाल सकते हैं.... मतलब, चाहे जो कर सकते हैं... वो भी चुटकियों में.
यही कारण है कि धीरे-धीरे यह आश्चर्य-कौतुहल-उत्सुकता डर में तब्दील हो रही है. दुनिया खौफजदा है कि अब सबकुछ बदलने वाला है. एआई के कारण करोड़ों नौकरियां जा सकती हैं. हाल ही में एआई के जनक सैम ऑल्टमन ने दुनिया के समक्ष स्वयं स्वीकार किया है कि वो एआई को लेकर भयभीत हैं. कृत्रिम बुद्धिमत्ता का मानव पर बढ़ता वर्चस्व, एक डर की बात तो है ही!.
- डॉ. सुरेखा ठक्कर