लोकमत समाचार की रचनावार्षिकी
दीप भव 2018
नहीं पढ़ा तो क्या पढ़ा?
हर किसी के लिए कुछ न कुछ नायाब है दीप भव 2018 में
फिल्म, कला, साहित्य और संस्कृति की ऐसी घटनाएं, ऐसी कहानियां, ऐसे
संस्मरण और ऐसी अनूठी जानकारियों से भरा है दीप भव कि आप मंत्रमुग्ध हुए
बिना न रह सकेंगे. यह अंक यदि आपने न पढ़ा तो बहुत कुछ चूक जाएंगे आप.
दीप भव एक ऐसी रचनावार्षिकी है जिसका कोई जवाब नहीं. अतिथि संपादक हैं
अभिनेता, गीतकार, संगीतकार, गायक और कवि पीयूष मिश्र.
200 INR
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